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Tuesday, June 26, 2018

पेट हमें अपना अंग नहीं लगता

हमारा भगवान !!
एक बनिया – बेईमान
कौन कहता है कि वो दाता है
हमें वो मुफ्त में नहीं बनाता है
वो अपना पूरा श्रम लेता है
जब भी कोई जनम लेता है
ब्याज़ हर दिन वसूल होता है
मूलधन फिर भी स्थूल होता है
दुनिया उसकी तिज़ोरी ढ़ोती है
कितना भर लो वो क़ोरी होती है
उसकी तिज़ोरी में जंग नहीं लगता
पेट हमें अपना अंग नहीं लगता !
पेट हमें अपना अंग नहीं लगता !!

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